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**कभी हार न मानो**

तू जब सर्द रातों में,
सपने देख है,
हर मुश्किल राह में,
अपनी ताकत तौलता है।

सर पर जो छत नहीं,
फिर भी तू मुस्कुरा,
अंधेरे से डरकर,
कभी पीछे न हटा।

हर गिरने पर संभल,
फिर से खड़ा होना,
जो ठोकरे खा जाए,
वो ही तो सच्चा जोश है।

खुद पर यकीन रख,
हर संकट को हंस दे,
घड़ी बदलती है जब,
हर दर्द को बस सह ले।

चाहे राह कितनी कठिन,
न हो तू कभी गुमसुम,
तारों से जगमगाएगा,
जो न नहीं रहा थम।

हर सुबह एक नया सितारा,
हर शाम को नया सवेरा,
कभी हार न मानो,
क्योंकि तू है सच्चा वीर।

हिम्मत का नाम रखो,
उससे बढ़कर कुछ नहीं,
सपनों की इस दुनिया में,
जीत की एक नई दास्तान बुनो।

कभी हार न मानो,
अजन्में सपने न छोड़ो,
जीवन की इस जंग में,
तू ही है अपना रथी।

आगे बढ़ता जा,
मंजिल तेरी राह देखेगी,
हार भी सिखाएगी,
बस तू कभी न रुकेगी।

तो चल, रमणीय राह पर,
अपने इरादों को जगमगा,
कभी हार न मानो,
क्योंकि तू है अद्भुत, तू है अनोखा।