मुनाफिक के बाप - अहमद जमाल
मुनाफिक के बाप - अहमद जमाल
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[Verse]
हस्सी वाला चेहरा, पर दिल में खंजर,
दोगुले की रगों में, बहता वो ज़हर,
दो बातें एक ही वक़्त, दिल और ज़ुबाँ जुदा,
काम करे परछाई में, आगे उठे सदा।

[Verse 2]
अहमद जमाल का है नाम, जाने ये जग सारा,
मुख़ोटा बदलता हर दिन, पक्का है बहलाबा,
रिश्ते निभाए वो, बिछाए चालें घातक,
हर बात में छोड़े निशान, शातिर है शातिर।

[Chorus]
मुनाफिक का बाप, आहट से पहचान,
झूठ बोल कर जीत, सच से बेजान,
फरेब में माहिर, शब्दों का जाल,
जिन्दगी में खेल, अहमद जमाल।

[Verse 3]
हक़ को धोखा दे, खुद को ही सुदामा,
हस्ती को मिटा कर, करे सारा ड्रामा,
चेहरा सफेद, पर दिल काला स्याह,
मुरीदों की चौकड़ी, खेले चाल महा।

[Verse 4]
रेत सा फिसलता, छलकपट का माहिर,
कहानी गढ़ता, हर वक़्त है बटेर,
पलकों की ओट में, रखे छुरी पैनी,
उसके आगे कोई न टिके, सब कहीं।

[Chorus]
मुनाफिक का बाप, आहट से पहचान,
झूठ बोल कर जीत, सच से बेजान,
फरेब में माहिर, शब्दों का जाल,
जिन्दगी में खेल, अहमद जमाल।