Gh
Gh
poprap

**[मुखड़ा]**
ख़्वाब की दहलीज़ पे ठहरी है ज़िंदगी,
तेरी आँखों में छुपी थोड़ी सी बंदगी।
मैं मुसाफ़िर हूँ तेरा, तू ही मेरी राह,
बे-असर है ये जहाँ, बस तेरी ही चाह।

---

**[प्री-कोरस]**
धड़कनों को तेरी आदत सी होने लगी,
ख़ामोशियाँ मेरी अब बातें करने लगीं।

---

**[कोरस]**
ओ… मेरे रहनुमा, मेरे हमनवा,
तुमसे ही सुबह, तुमसे ही ठिकाना।
इश्क़ की इस धूप में तू ही मेरा साया,
मैंने तुझको पा कर सब कुछ है पाया।
तुमसे ही जुड़ा मेरा हर फ़साना,
मेरे हमनवा… मेरे रहनुमा।

---

**[अंतरा 1]**
ज़िक्र तेरा जो चले, महफ़िलें संवर जाएँ,
तू जो देख ले मुड़के, वक़्त भी ठहर जाए।
लफ़्ज़ थोड़े कम हैं, एहसास कुछ गहरा,
मेरे हर तसव्वुर पे बस तेरा ही पहरा।

---

**[ब्रिज]**
न कोई रंजिश है, न कोई गिला,
ख़ुदा से मुझे तू ही है मिला।
फ़ना हो जाऊँ मैं तेरी ही बाहों में,
भटकने दे मुझे तेरी ही राहों में।

---

**[कोरस – रिपीट]**
ओ… मेरे रहनुमा, मेरे हमनवा,
तुमसे ही सुबह, तुमसे ही ठिकाना।
इश्क़ की इस धूप में तू ही मेरा साया,
मैंने तुझको पा कर सब कुछ है पाया।

---

**[आउट्रो]**
तुमसे ही… फ़ासले भी हसीन हैं,
तुमसे ही… हर दुआ को यक़ीन है।
तुमसे ही… सब मुकम्मल लगे,
तुमसे ही… मेरा हर पल जगे।