दगा-धड़ी बोल
intenserhythmicheavybeats
[Verse] सपनों का किला बनाया, किस्सों की ईंट से, पार किया मैंने, मुश्किल की दीन से। दोस्त बने सांप, लुकी छुपी चालों से, दोहरी शक्लें, दिखाए प्याले में ज़हर के प्याले से। [Verse 2] खंजर की धार, दोस्ती के नाम पर, पीठ पर वार, बातों में ही जहर। अहमद जमाल का दर्द, दिल के भीतर, कहानी उसकी, फरेबियों के जाल का मंजर। [Chorus] अरे अहमद, दोस्त नहीं ये यार, पल में साथ, पल में देते मार। दोगले चेहरों का है ये बाजार, शिकायत नहीं, ये है उसकी पुकार। [Verse 3] मासूम आँखों में देखी थी, प्यार की चमक, पर किस्मत ने लिखा, धोके का चमक। ताश का घर, इनसान बने पत्ते, दोस्ती की बाज़ी, अक्सर लोग ही फसते। [Verse 4] शब्दों का जाल, मीठी बातों का घेरा, अहमद फंसा, गिरा गया अंधेरे का डेरा। सच्चा बनकर, जूझा हर फ़रेब से, आज़ाद अब, दूर हुआ करपात के मोहल्ले से। [Chorus] अरे अहमद, दोस्त नहीं ये यार, पल में साथ, पल में देते मार। दोगले चेहरों का है ये बाजार, शिकायत नहीं, ये है उसकी पुकार।